
Jun 18, 2016 · मुक्तक
*रिश्तों का अहसास*
रिश्तों का पावन अहसास
भर देता है इक विश्वास
बुझे हुए मन दीपक में
जग सी जाती फ़िर से आस
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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