
Jan 24, 2018 · दोहे
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर
——————————
घर की शोभा बेटियाँ,दो दो कुल की लाज !
सबको होना चाहिए , इसी बात पर नाज !!
छोड़ रही हर क्षेत्र में , आज बेटियां छाप !
कहने वाले क्यूं कहें, कन्या को अभिशाप !!
क्यों ना उन्नत शीश हो, क्यों ना होवे नाम !
कर जायें जब बेटियाँ,….बेटों वाले काम !!
उत्तरदायी कौन है, …….किसकी है ये भूल।
सिमटी हैं कलियाँ अगर, खिले नहीं हैं फूल।।
रमेश शर्मा.
2 Likes · 2 Comments · 5277 Views

दोहे की दो पंक्तियाँ, करती प्रखर प्रहार ! फीकी जिसके सामने, तलवारों की धार! !...

You may also like: