
Aug 4, 2016 · मुक्तक
*रहमत*
छाया है इक समां सुहाना
आया लब पर एक तराना
हँसवाहिनी की रहमत से
पाया है अनमोल खज़ाना
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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