ये माना घिरी हर तरफ तीरगी है
ये माना घिरी हर तरफ तीरगी है
मगर छन भी आती कहीं रोशनी है
न करती लबों से वो शिकवा शिकायत
मगर बात नज़रों से सब बोलती है
रहे दिल मे तूफान ,आंखों में सागर
न जाने हवा कैसी चलने चली है
गमों के जो बादल खुशी बन के बरसे
लगा ज़िन्दगी मिल गई दूसरी है
भटकता हुआ देख मासूम बचपन
भरा दर्द दिल में नयन में नमी है
मुहब्बत बिना व्यर्थ है सारा जीवन
हमेशा जमाने को पर ये खली है
इरादे बुलन्दी पे हैं आज इसके
भले नाज़ नखरों में बेटी पली है
निगलने लगा धूप को अब धुआँ ये
जलन से झुलस सी गई चाँदनी है
तुम्हें पा लिया जो, न अब चाहिए कुछ
तुम्हारी खुशी हर हमारी खुशी है
हमें ‘अर्चना’ लोग कहतें हैं पागल
जो आवाज बस दिल की हमने सुनी है
डॉ अर्चना गुप्ता
17-11-2017

Dr Archana Gupta
मुरादाबाद
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डॉ अर्चना गुप्ता (Founder,Sahityapedia) "मेरी प्यारी लेखनी, मेरे दिल का साज इसकी मेरे बाद भी,...

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