
Jul 26, 2016 · कविता
मोदी-मोदी
दूध से सफ़ेद बाल
दूध सी सफ़ेद दाढ़ी
ढक देते हैं “मोदी” जी
आपके आधे चेहरे को
लगता हो जैसे बादलों ने
ढांक रखा हो चांद को…
लेकिन जब भी
पड़ती है मेरी नज़र आपके चश्मे पर
सोचता हूँ उतार कर देखूं उन आँखों को
जो छोड़ आए हैं
व्यथित “जसोदा” को
किसी दरवाज़े की चौखट पर
रिश्तों का सिर्फ नाम देकर….
आप अहिंसा के पुजारी हो
या हिंसा के…
महात्मा….महामानव हो
या हो कोई साक्षात अवतारी
वक़्त की ताकत हो
या फिर हो स्वयं
थके-थके से कोई संवाहक
अधूरा पाता हूँ इन
प्रश्नों के जवाब में अपने आप को…..!
सुनील

suneelpushkarna@gmail.com समस्त रचना स्वलिखित

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