
Dec 17, 2020 · कविता
मेरा नाम कोरोना
करता हूँ जब परेशान तो आपस में दूर रहो ना,
जब दिक्कतें है लाख तो नियमों का पालन करो ना ।
दूर रहे हो आजतक परिवार से, शिक़ायत भी बहुत थी उन्हें आपसे,
अब मौका जो मिला है आपको, उनकी शिकायत दूर करो ना ।
खाँसी हो या छींक आपको, डॉक्टर की सलाह ले लेना,
बैद्य-हक़ीम से बच करके, विशेषज्ञ से इलाज कराओ ना ।
इस महामारी में हुए हैं, बेरोजगार समाज के लाखों युवा,
भुखमरी से मरे न जनता, उनको खाने का इंतज़ाम करो ना ।
प्यार में चुपके फ़िरते हैं, खुलेआम लडक़े-लड़कियाँ हज़ार,
प्यार बाद में कर लेना, सामाजिक दूरी का प्रयास करो ना ।
मज़दूरों की दिन-रात मजदूरी से, बढ़ता है धन सभी अमीरों का,
“आघात” की विनती है उनसे, सभी भुखों को अन्नदान करो ना ।
मेरा नाम कोरोना, मुझसे थोड़ा सा डरोना ।
आर एस आघात
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
This is a competition entry: "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता
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मैं आर एस आघात सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में सहायक प्रबन्धक के पद पर कार्यरत...


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