
Feb 17, 2017 · कविता
मेरा चमन......
जालिम बहुत है वो हर घर, गली , मुहल्ले में छुपे बैठे है
उनसे अपना चेहरा छुपाये रखना, नजरे बचाये रखना,
कही कर न जाए दागदार पाक दामन को, पाकर मौका
बेशकीमती है मेरा चमन, इसकी आबो हवा बनाये रखना
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डी. के. निवातियां

नाम: डी. के. निवातिया पिता का नाम : श्री जयप्रकाश जन्म स्थान : मेरठ ,...

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