Feb 8, 2021 · कविता
मेरा इश्क सूफ़ियाना
मेरे दिल को तेरा आशियाना कहूँ तो कुछ भी ज्यादा नही होगा
तुझे ज़िन्दगी नही मेरा जमाना कहूँ तो कुछ भी ज्यादा नही होगा
मुझे तो तेरे साये में सारी उम्र गुजारनी है
इश्क इक बहाना कहूँ तो कुछ भी ज्यादा नही होगा
हर मुलाकात में पहले से ज्यादा मोहब्बत हो जाती है
तुझे कातिलाना कहूँ तो कुछ भी ज्यादा नही होगा
गुलशन में ये जो खुशबुएँ बिखरी हुईं हैं
वजह तेरा मुस्कराना कहूँ तो कुछ भी ज्यादा नही होगा
तेरे नजदीक और खुद से दूर हो गया हूँ मैं
मेरा इश्क सूफ़ियाना कहूँ तो कुछ भी ज्यादा नही होगा
कैलाश सिंह
सतना , मध्य प्रदेश
This is a competition entry: "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता
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शायर, कवि ( 9109633450), एजुकेशन- BE ( Bachelor of Engineering) , Mechanical Branch

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