मुक्तक
गर मयस्सर नहीं खुली धूप तुम को जाना
नफ़स – नफ़स में गर मौत कुलबुलाती है
तुम अजाबे लॉक डाउन में भी जाना
खुशी से अज़ाब की तरह ही रहो
~ सिद्धार्थ

Mugdha shiddharth
Bhilai
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मुझे लिखना और पढ़ना बेहद पसंद है ; तो क्यूँ न कुछ अलग किया जाय......

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