मुक्तक
काफ़ी है… लहज़े की ही खूबसूरती
चेहरा खूबसूरत लेकर क्या करोगे
पेचीदा उम्र गुजरेगी जैसे जैसे
हसीन सुर्ख चेहरा सादा ही करोगे
~ सिद्धार्थ
घर से निकल कर तुम घर को ही गए होगे
साहेब के आग्रह में घर पर ही रह गए होगे.
😜
~ सिद्धार्थ

Mugdha shiddharth
Bhilai
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मुझे लिखना और पढ़ना बेहद पसंद है ; तो क्यूँ न कुछ अलग किया जाय......

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