
Apr 1, 2020 · मुक्तक
मुक्तक
भूल मानवता रचे साजिश हँसे हैवानियत।
चाल चीनी चल गया अब कौन लेगा कैफ़ियत।
आज दहशत से भरा दिखता यहाँ इंसान है-
लाश के अंबार देखो रो रही इंसानियत।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’

अध्यापन कार्यरत, आकाशवाणी व दूरदर्शन की अप्रूव्ड स्क्रिप्ट राइटर , निर्देशिका, अभिनेत्री,कवयित्री, संपादिका समाज -सेविका।...

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