
Jun 13, 2016 · मुक्तक
मुक्तक
छलका छलका एक समन्दर आँखों में,
टूटे ख्वाबों का हर मंज़र आँखों में।
बेगानेपन से घायल दिल को करता,
एक नुकीला चुभता खंज़र आँखों में।
दीपशिखा सागर-

Poetry is my life

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