May 30, 2016 · मुक्तक
मुक्तक
अम्बर को चूमे है बेटी
ग़म में भी झूमे है बेटी
घर के सूने से आँगन में
बन पुरवा घूमे है बेटी

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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