मुक्तक - मां
कहानी सुनाती ,सुलाते -सुलाते ,
बहाना बनाती ,रिझाते – मनाते ।
मां, तू है ममता की देवी रिचा की,
सुनाती है ,लोरी ह्रदय से लगा के।
बनाये ,खिलाये, हंसाये रूला के,
पढाये ,सिखाये ,पुकारे मना के।
है ,ममता मयी मां का अद्भुत ये जीवन,
ये करुणा मयी मां ,की आँखें निहारें ।
प्रतीक्षा घड़ी की ,बढ़ाती है धड़कन,
मेरे लाल को खुश, बनाती है धड़कन ।
पुकारे ह्रदय का धड़कता ये टुकड़ा,
मेरे लाल आ जा, बुलाती है धड़कन ।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,
सीतापुर।
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Lucknow
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Senior consultant incharge blood bank distt hospital sitapur.born1july1961 .intersts in litrature.science.social works&pathologyµbiology. Books: कथा अंजलि...

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