
Feb 6, 2017 · कविता
मिट्टी मेरे गांव की
मौज रही गलिया चौबारे.
वो धुल सनी कच्ची राहे.
हवाओं के संग सरसों गाए.
खेतो में सारंगी सरपत बजाए.
मौज रही गलिया चौबारे.
नहरों में पानी छलका जाए.
टुटी फुटी वो घर की यादे.
दिवारों पर रंग जामाए.
अवधेश कुमार राय…..

मैं अवधेश कुमार राय आप के लिए अपनी रचना लेकर आया हुं, पत्रकारिता के साथ...

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