
Jun 17, 2016 · कविता
मान भी मिलने लगा
चाटुकारों से विलक्षण ज्ञान भी मिलने लगा
वोट के हित द्रोहियों को ध्यान भी मिलने लगा
क्या कहूँ, सम्वेदना की मृत्यु होती देख के
आज साहित्यिक गधों को मान भी मिलने लगा
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

I am a professional astrologer and very much active in the field of poetry

You may also like: