
Jun 9, 2016 · मुक्तक
*मानसून*
आसमान में बादल छाए
वसुधा मनहर राग सुनाए
है झूम रहा खुशियों में मन
बरखा के अब दिन हैं आए
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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