मानवता सिखला गए (दोहे)
मानवता सिखला गए, दे दी हंसकर जान !
ईसा को इस त्याग ने, बना दिया भगवान् !!
पनपा है जब जब कहीं, नफरत का बाज़ार !
ईसा ने तब तब लिया, .धरती पर अवतार !!
मानवता कायम रहे , हर दिल रहे करीब !
यही सोचकर चढ गये,.ईसा तुरत सलीब!!
मानवता जिंदा रहे,…कायम हो ईमान!
हर युग मे ईसा हुए,इसी तरह कुरबान!!
रमेश शर्मा

RAMESH SHARMA
मुंबई
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दोहे की दो पंक्तियाँ, करती प्रखर प्रहार ! फीकी जिसके सामने, तलवारों की धार! !...

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