
माँ
तुझसे शुरू होती है मेरे जीवन की कहानी,
जानती है तू मुझको तबसे,
जब सारी दुनिया थी मुझसे अनजानी,
सबसे पहले मुझे तूने छुआ माँ,
उस छुअन का कुछ ऐसा असर हुआ माँ,
कि आज भी अगर वो छुअन मुझे छू जाती है,
मेरी सारी तकलीफें गायब हो जाती है,
मेरे हर दर्द का इलाज है तू माँ,
तू नही तो दुनियाँ मे कुछ नही है हाँ,
माँ बनकर ही मैंने तेरे अहसास को समझा,
माँ बनकर ही मैंने तेरे जज्बात को समझा,
माँ बनकर ही मै ये समझ पायी,
माँ होती है जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई,
निस्वार्थ, सच्ची, ममता की मूरत,
सबसे अच्छी, सबसे प्यारी, माँ तेरी सूरत।
स्वाती गुप्ता
मुलाना (हरियाना)
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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Swati Gupta
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