माँ
माँ, तेरे जाने के बाद मुझे,
ना जाने क्यूँ ऐसा लगता है।
ईश्वर से क्या माँगूँ भला?
वो पत्थर जैसा लगता है।
गिर जाती हूँ थक कर मैं, आकर मुझे संभालो माँ।
एक बार तो अपने मुँह से, मेरा नाम पुकारो माँ।
तुम थी, तो आँचल तेरा माँ,
मुझे लपेटे रखता था।
दुनियाँ की हर बुरी बला वो,
खुद में समेटे रखता था।
सबकी बुरी निगाहों से, मेरी नजर उतारो माँ।
एक बार तो अपने मुँह से, मेरा नाम पुकारो माँ।
किसी दिन तो आकर माँ,
फेरो हाथ सर पर मेरे।
और, रख जाओ मेरी ख़ातिर,
दो नैना बस, दर पर मेरे।
जब भी आऊँ थक कर मैं, तुम मेरी बाट निहारो माँ।
एक बार तो अपने मुँह से, मेरा नाम पुकारो माँ।
नाम: सारिका कश्यप
स्थान: दिल्ली
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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Sarika Kashyap
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