
Nov 1, 2018 · कविता
माँ
अपनी गोद में मुझको सुला दे आज माँ,
हाथों के झूले में झुला दे आज माँ,
क़दमों की आहट मेरे ढूंढे है तुझे,
है तू कहाँ कोई सदा दे आज माँ,
है हर तरफ घर में उदासी सी अब,
तू बात कोई सी चला दे आज माँ,,
नज़रे सभी की आज है मुझ को घूरती
हर एक नज़र को तू जला दे आज माँ,,
कोई नहीं मुझ को उठाता है सुबह,
आ के मुझे फिर से हिला दे आज माँ,,
है भूख मुझ को तेरे हाथो से खाने की,
रोटी मुझे आ के खिला दे आज माँ,,
ममता तेरी को आज तरसे है “मनी” |
ढूंढे कहाँ तुझको बता दे आज माँ ||
मनिंदर सिंह “मनी”
लुधिआना, पंजाब
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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मेरा नाम मनिंदर सिंह है | साहित्य के क्षेत्र में मुझे लोग मनिंदर सिंह "मनी"...

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