Nov 29, 2018 · कविता
माँ मैं धन्य हो गया..
माँ मैं धन्य हो गया…2
प्यार से लोरी सुनते-सुनते…..माँ मैं धन्य हो गया…।
मैं तेरे आँचल में सोया..
मन में जब आया ख़ुशी हुआ ।
मन में जब आया ख़ूब रोया,
न मैंने कष्ट कभी झेला तब रहा तेरा सहारा …।
माँ मैं धन्य हो गया …
वो थपकी तेरे हाथों की ,
तेरी आहट मेरे पास आने की ।
बदन में जब आती थी ऊर्जा ,
प्यार से तूने हाथ से सहलाया …
माँ मैं धन्य हो गया …
न जब थी खाने की चिन्ता,
न चिन्ता थी मुझे सँवरने की ।
सुबह से संध्या तक मेरी,
हिफ़ाजत तेरे आँचल के सहारे थी ।।
माँ मैं धन्य हो गया….
आज मैं हो गया बड़ा,
न मिलती मुझे तेरे आँचल की हवा ।
रहता हूँ बेचैन हर समय,
पाने को तेरे प्यार भरे दो बोल ।।
माँ मैं धन्य हो गया…..
आर एस बौद्ध “आघात”
अलीगढ़
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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आर एस आघात
अलीगढ़
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मैं आर एस आघात सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में सहायक प्रबन्धक के पद पर कार्यरत...

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