Nov 18, 2018 · कविता
माँ जैसा ना फरिसता कोई
सबसे सुंदर सबसे प्यारी मेरी माँ,
हर श्रय से लगती न्यारी मेरी माँ I
माँ है यारों असल रुप भगवान का,
इस जैसी न मिले कोई दुनियां में छाँ।
माँ से बड़कर ना कोई और प्यार करें,.
इसके आगे तो फरिसते भी पानी भरें।
माँ के बिन लगे यह जग सुना-सुना,
प्यार से नहीं बुलाएं कोई कहके मुना।
माँ बच्चों के लिये अपनी जान लुटाये,
तकलीफ में भी यह बच्चों को हसाये।
हर दुख को माँ हंस कर ही सह जाती,
बच्चों को यह काला टिका है लगाती।
गिल्ल माँ की पुजा तो भगवान की पुजा,
माँ से बडकर का ना कोई फरिश्ता दूजा I
प्रभलीन कौर गिल्ल
मोहाली, पंजाब ,
prabhleen0315@gmail.com
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
Voting for this competition is over.
Votes received: 148
40 Likes · 201 Comments · 376 Views

I like poetry

You may also like: