Nov 11, 2018 · कविता
माँ - एक उपहार
जगपालक ने जगपालन को जननी का उपहार दिया।
उस दिनबंधु ने दिनों को माँ का एक आधार दिया ।।
माँ के रहते कोई भी कभी भी भूखा सोया न ,
माँ के आँचल के छाए में लाल कभी तड़प के रोया न।
माँ को देकर उस ईश्वर ने जीवन का एक सार दिया…….।
माँ अमोलक माँ का कोई मोल नही,
माँ एक दिव्य रूप इसका कोई तौल नही।
माँ ने वो सबकुछ किया जो बेटे ने पुकार किया………. ।
सब ग्रन्थ कहे सब पुराण कहे ,माँ बिन सारा जग सून रहे
सब सन्त मुनि गाते निशदिन , सब कुछ पर कुछ भी नही इक अकेली माँ के बिन।
सब से धनी वही है, जिसने माँ का है प्यार लिया………. ।
कही चंद्र मांगे कही खाये माखन,
देख मातृत्व जब ललचाया मन
तब माँ का प्रेम पाने को, प्रभु ने इस धरा पर अवतार लिया……।
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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