
Nov 1, 2018 · कविता
माँ
गर्म तवे से हाथ जला जब
तुमने अपना फर्ज निभाई
स्तन से बूंदे टपकाकर
मेरे जख्मों पर लेप लगाई
कैसे भूलूं तेरा उपकार
कैसे दूध का कर्ज चुकाऊँ
तेरे चरणों की धूल को “माँ”
माथे पर मैं तिलक लगाऊँ
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राजेश बन्छोर
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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