
Nov 9, 2018 · कविता
माँं:जीवन का पर्याय
हे माँ
जब तुम्हारे गर्भ में था
तब भी स्वर्ग में था
जब तुम्हारी गोद में आया
संसार स्वर्ग हो गया
जीवन दिया माँ तुमने
इस जीव को जो भटक रहा था!
पता नहीं कब से?
माँ मुझे खबर है
कि तुम हर निमिष
मेरे जीवन को साँसों की दुआ करती हो
खुद के लिए बेखबर!
मेरी माँ :मेरे जीवन का पर्याय है।
मुकेश कुमार बड़गैयाँ, कृष्णधर द्विवेदी
वार्ड -३पथरिया,जिला दमोह मप्र-४७०६६६
Email:mukesh.badgaiyan30@gmail.com
MO no:9752853979
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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