
Nov 27, 2018 · कविता
ममता की मुरत
माँ तू ममता की मुरत है ,
माँ तू देवी का सुरत है।
तेरे चरण स्पर्श से ही माँ ,
यह जग इतना खुबसुरत है।।
भगवान का चम्तकार समझू ,
या हमारा सौभाग्य है माँ।
जो माँ के रूप में तु मिली,
क्योकिं भगवान से बढ़कर तु है माँ।।
किसी भगवान का भी माँ होता है,
क्योकिं माँ बिना भगवान कैसे हो जाएगा।
अगर माँ ना रहे दुनिया में ,
तो यह दुनिया सूना -सूना हो जाएगा।।
तेरा वर्णन क्या करू माँ ,
स्याही ही खत्म हो जाएगी।
जबतक स्याही लाउँगा माँ,
तेरी ममता और बढ़ जाएगी।।
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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