"मजाकवा लॉकडाउन"
बचुआ के बापु ये तो बड़ों अच्छो हो गवो! पोहोच गंवा शहरमा ठीक-ठाक। ध्यान रखिवो अपनों, कछु आवाज नहीं आवत रहीन! फोनवा भी रंग दिखावत रहीन। अबहुं आवत रहीन! बचुआ को कॉलेज भी बंद हो गवो जब से लॉकडाउन भवो है न और बिटिया भी लैपटॉपवा पर घर से काम करत रहीन।
बचुआ की अम्मा तुम का करत रहीन? कछु काम तुम भी कर लिवा करी।
काहे ऐसे बोलत हो जी! घर की लुगाइयों को कित्तो काम करनो पड़त घर मां! अभी कछु तो पतो पड़ी गवो होगो! घरमा रहीके!
मजाकवा कहत रहीन तोसे! तबहुं रोटीयां सेंक रहो हूं।

Aarti Ayachit
भोपाल
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मुझे लेख, कविता एवं कहानी लिखने और साथ ही पढ़ने का बहुत शौक है ।...

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