Mar 30, 2020 · मुक्तक
मचलती चाहतें
==========={ मचलती चाहतें }==============
चाहतें मचलती रही ता-उम्र ……….. तुम तक लौट आने की
न उठे कदम इक बार फिर से …………..चोट खाने के लिए
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© गौतम जैन ®
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Gautam Jain
हैदराबाद
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ग़ज़ल , कविता , हाइकु , लघुकथा आदि लेखन प्रकाशित रचनाएं:--- काव्य संरचना, विवान काव्य...

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