
Jul 16, 2016 · मुक्तक
बो रहा कोई विष बीज
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बो रहा कोई विद्रोही विष बीज, पनपने मत दो
देशद्रोह, आतंक का तावीज़ पहनने मत दो
जागो राष्ट्र प्रेमियों बुलंद अपनी वाणी करो
दंभियों का दंभ तोड़ एकता बिखरने मत दो।

poet and story writer

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