
Jan 16, 2017 · कविता
बेटी का अरमान
मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर अरमान लिखूंगी
कलम प्यार में डुबा डुबाकर
उस पर सारा संसार लिखूंगी
गीत लिखूंगी अनुभव का मैं
शब्दों का व्यवहार लिखूंगी
स्वप्न रचूंगी वैभव का मैं
उसपर अपना अधिकार लिखूंगी
मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर उत्थान लिखूंगी
जड़ लिखूंगी मिट्टी में मैं
ऊँची ऊपर उड़ान लिखूंगी
जहाँ हवा बहे अनुकूलतम
ऐसा आसमान लिखूंगी
मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर परवान लिखूंगी
आंगन में त्योहार लिखूंगी
चेहरों पर मुस्कान लिखूंगी
हर कोने में प्राण भरूंगी
और अपनी पहचान लिखूंगी
मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर सम्मान लिखूंगी
This is a competition entry: "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता
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