
Jan 17, 2017 · गज़ल/गीतिका
बेटियां
घर में खुशियों की पहचान हैं बेटियां
अपनी दहलीज का मान हैं बेटियां
..
कोख में मार देना कभी मत इन्हें
रूप की जैसे भगवान है बेटियां
..
मन की भोली भी है,थोड़ी नाजुक मगर
अपने बाबुल का अभिमान है बेटियां
..
फर्ज बेटों के जैसे निभाती सभी
अपने परिवार की आन है बेटियां
..
माँ की परछाई है माँ का अधिकार है
माँ के होंठों की मुस्कान है बेटियां
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है गुजारिश मेरी प्यार करलो इन्हें
जग में खुशियों भरी खान है बेटियां
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छोड़ बाबुल का आंगन चली जायेगी
अपने घर में ही मेहमान है बेटियां
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याद जब आयेंगी आँख भर जायेगी
तब लगेगा यही जान हैं बेटियां
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साथ देती है ये जब जरूरत पड़े
आन बेटे हैं तो शान है बेटियां
..
कम नहीं आंकिये रूप है शक्ति का
माँ भवानी का प्रतिमान हैं बेटियां
..
इक किरण बनके आंगन में चमकेगी तो
यूँ लगेगा की उन्वान हैं बेटियां
..
रमा प्रवीर वर्मा …..
This is a competition entry: "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता
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जन्म तिथि - २ अक्टूबर जन्म स्थान- जसरापुर (राजस्थान) वर्तमान निवास- नागपुर शिक्षा - स्नाकोत्तर...


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