
Jan 12, 2017 · कविता
बेटियां
पिता के जीवन का स्वाभिमान होती है, बेटियां,
सब घर वालो की जान होती है, बेटियां।
परमात्मा के आशिष के रूप मे,
लक्ष्मी का अवतार होती है, बेटियां॥
चिड़ियाँ की तरह घर मे रह पाती है, बेटियां,
कोयल की तरह आँगन को महकाती है, बेटियां।
सब के दिलो मे अपना घर बना कर,
एक दिन घर से उड़ जाती है, बेटियां॥
समाज का नाम बनाती है, बेटियाँ,
देश को अग्रसर कर जाती है, बेटियां।
बिना किसी लालच के सब घर,
एक कर जाती है, बेटियां॥
This is a competition entry: "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता
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नाम:- लक्की सिंह चौहान (लवनेश) पता:- बनेड़ा(राजपुर) जिला:- भीलवाड़ा, राजस्थान शिक्षा:-बी.ए. (हिंदी,संस्कृत तथा राजस्थानी) रूची:-...


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