
Jan 22, 2017 · कविता
बेटियाँ
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घर आँगन की शोभा….
हैं ये हमारी बेटियाँ
इनकी हँसी से खिल उठता है,
हमारे घर का कोना – कोना।
?लक्ष्मी सिंह
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बेटियाँ होती है फूल सी….
मन नाजुक कोमल पंखुरी सी…..
—लक्ष्मी सिंह?

MA B Ed (sanskrit) My published book is 'ehsason ka samundar' from 24by7 and is...

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