
Feb 23, 2021 · मुक्तक
फरेब की अपनी कोई जन्नत नहीं होती
फरेब की अपनी कोई जन्नत नहीं होती
जन्नत, इंसानियत के घर का पता होती है
फरेब का अपना कोई आसमां नहीं होता
आसमां, इंसानियत के घर की छत होती है

मैं अनिल कुमार गुप्ता , शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ मुझे कवितायें लिखने ,...

You may also like: