प्रेम
प्रेम परिहास करता है
कि दिल है तो दर्द सहो
आंखे नम हो फिर भी
होठों से हंसते ही रहो🤭
~ सिद्धार्थ
समंदर को सूखने से बचाने के लिए ही
गढ़े गए हमारी तुम्हारी तरह की नदियों को
कि समंदर जीता रहे, समंदर आयुष्मान रहे
~ सिद्धार्थ

Mugdha shiddharth
Bhilai
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मुझे लिखना और पढ़ना बेहद पसंद है ; तो क्यूँ न कुछ अलग किया जाय......

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