प्रियतमा
ख्यालो की बगीया हो
फूलो की क्यारी हो
पूनम की चाँदनी
चकोर की दीवानगी
और सपनो की रवानी हो
पल में जीना पल में मुरझाना
दर्पण के जैसी नादानी हो
दिल के किताब की कोई शायरी
सौंदर्य को उकेरती करती कोई सरिता हो
संग-ए-मरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को..
परी के जैसी कोमलता है
और बुलबुल के जैसी चंचलता है
पलकों के ख्वाब हो तुम
फूलों के पराग हो तुम ।
… गाती जो गीत कोयल
वो गीत लाजवाब हो तुम ।
चांदनी चिटकती रातों में
और मदहोशी छा जाती है
ऐसी मनोहारी मुरत तुम हो ।
एक दिलरुबा हो दिल में
जो हूरों की परी से कम नहीं हो…।।कांत।। सुरेश शर्मा

Suresh Kant Sharma
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समाजसेवी,कविता लेखन राजकीय सेवारत,निशक्तजन सेवा संगठन का सदस्य एवं राष्ट्रीय गौ रक्षावाहिनी का मानद सदस्य।श्रीपरशुराम...

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