Mar 31, 2020 · कविता
प्रार्थना
चापलुसी चाटुकता परिधि में
स्वयं विवेक क्षीणता हर विधि में
कूटि नीति बजती बीन है
लोलुकता में कर विहीन है
स्वपन खुली नेत्रों में लेकर
जुगनू थूके सूर्य कलश पर
पुष्प उगाते नागफणी के पौधे
बीज घातिनी जड़ी के पौधे
मेघ मल्हार जगावत रवि को
भूल विकार कुशल हरि छवि को
विनय विराग अप्रत्यक्ष खड़ा कर
जहर भण्डारण क्षमता अक्ष थर
असुरक्षित प्रकृति विश्लेषण
निर्धन व्यक्ति का होता शोषण
नव जन मानस रंजन भंजन
स्वयं विवेक करता स्पंदन
अविवेक बुद्धि का तर्पण
स्व स्वरूप जीवन का दर्पण
मानवता संसार मग्न हो
कुशल सुमंगल समाज सदन हो
क्षेम कुशल निर्माण सफल हो
जीवन शील आशीष प्रबल हो
इंजी. नवनीत पांडेय सेवटा(चंकी)
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नाम:- इंजी०नवनीत पाण्डेय (चंकी) पिता :- श्री रमेश पाण्डेय, माता जी:- श्रीमती हेमलता पाण्डेय शिक्षा:-...

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