नये भारत का उदय।पेज नं.01
महाभारत के तो बहुत नियम थे। नयाय और अनयाय के बीच लड़ा जाना था। यह हमारा नव भारत ऐसे लोगों के बीच लड़ा जायेगा. जहां पर कोई धर्म नही होगा।यहां पर कोई योद्धा भी नही होगा।और न ही सत्य होगा।यहां पर रणनीति भी नही होगी ।यह युद्ध एक ओपन सिरेनी का होगा ।ए.आई .से लैस एवं वैज्ञानिक तारीके से लड़ा जायेगा।यहां पर हर इंसान युद्ध के लिए ललकार
रहा होगा।वह भी शात्र हीन होकर खड़ा है।पर विजय की आस लिए ललकार रहा है।यहां पर हर इनसान अपनी करम भूमि को ही युद्ध भूमि बना रहा है।यहां पर कोई माया पति भी नहीं है।कोई कुशल युधा भी नही है।पर युद्ध लड़ना चाहता है। हम नव भारत का निर्माण करना चाहते है हमारे सिरी पृधान मनत्री जी ने एक नये भारत की परिकल्पना की है।

Phoolchandra Rajak
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