
Jul 26, 2016 · गज़ल/गीतिका
धुंधला धुंधला अक्स
धुंधला धुंधला अक़्स, ख़ुशी कम दिखती है
ये आँखे जब आईने में नम दिखती है
आ तो गया हमको ग़मों से निभाना लेकिन
हमसे अब हर एक ख़ुशी बरहम दिखती है
आँखों में चुभ जाते हैं ख़्वाबों के टुकड़े
नींदों में बेचैनी सी हरदम दिखती है
आसमान कितना रोया है तुम क्या जानो
तुमको तो फूलों पे बस शबनम दिखती है
दिल तो टूटा है नदीश का माना लेकिन
जाने-ग़ज़ल मेरी तू क्यों पुरनम दिखती है
© लोकेश नदीश

Ramnagar

You may also like: