
Nov 15, 2018 · कविता
माँ की गोद...
कुंडलिया छंद
आश्रय देकर गोद में, सदा लुटाती प्यार ;
धरती धीरज धारणी, सहती कष्ट अपार ;
सहती कष्ट अपार, सभी मन शांति डालती ;
देती अन्न अपार, सभी का पेट पालती;
पाठक जी फिलहाल , बताते माँ है धरती;
हिंदु हो या मुस्लिम, सभी को आश्रय देती||
जनार्दन पाठक उर्फ आर्यन पाठक ‘शायर’
हरदोई
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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मैं बात अपने दिल की कुछ यूँ खोलता हूँ| खामोश रहता हूँ मैं फिर भी...


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