धनतेरस पर दोहे
धनतेरस पर दोहे
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धनतेरस का पर्व ये, लक्ष्मी का त्योहार।
घर -घर में सबने लिए,नए-नए उपहार।।
देव ,तिजोरी पूज कर,सिक्का रजत चढ़ाय।
सुख-वैभव रख कामना,मोदक भोग लगाय।।
झालर – दीपों से सजीं,जगमग सब दीवार।
रौशन हर घर हो गया, शोभा अपरंपार।।
कपड़े, बरतन, फुलझड़ी,सजे हुए बाज़ार।
स्वर्ण, रजत, मिष्ठान से, लोगों को है प्यार।
माटी के दीपक जलें, गाँव, शहर अरु देश।
त्याग प्रदूषण तम हरें, स्वच्छ बना परिवेश।।
डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज ,वाराणसी(मो.-9839664017)

डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
महमूरगंज, वाराणसी (उ. प्र.)
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अध्यापन कार्यरत, आकाशवाणी व दूरदर्शन की अप्रूव्ड स्क्रिप्ट राइटर , निर्देशिका, अभिनेत्री,कवयित्री, संपादिका समाज -सेविका।...

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