
Aug 10, 2016 · कविता
दौड़ा चला जा रहा है....
बस इंसान दौड़ा चला जा रहा है,
उदासी की गठरी सर पर उठाय
बस जिये जा रहा है,
पल पल मरे जा रहा है
एक उम्मीद की खोज में
बस इंसान दौड़ा चला जा रहा है
उदासी की गठरी सर पर उठाय
खुशियों के झूले में झूलने का सपना
मन में लिये,
मन से ही द्वन्द युद्ध करते हुए
कभी हारते हुए,कभी जीतते हुए
एक उम्मीद की खोज में
बस इंसान दौड़ा चला जा रहा है,
उदासी की गठरी सर पर उठाय।।
^^^^^दिनेश शर्मा^^^^^
1 Like · 3 Comments · 36 Views

सब रस लेखनी*** जब मन चाहा कुछ लिख देते है, रह जाती है कमियाँ नजरअंदाज...

You may also like: