
Jun 13, 2016 · कविता
दोस्ती
आओ
जिंदगी से दोस्ती कर लें फिर से
जी भर कर बतियायें
रूठने पर मना लें इसको
हौले से प्यार से
दबा दें इसकी हथेली
इसके कांधे पर
सिर रख कर शिकायत कर लें
आओ, फिर से
जिंदगी से दोस्ती कर लें
तोड़ दें वर्जनाएँ
मन का कहना मान लें
जो भी अच्छा लगे
उसे जी भर कर जी लें
आओ, जिंदगी से दोस्ती कर लें।

एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग। कहानी कविता व समीक्षा की 14पुस्तकें प्रकाशित।200से अधिक पत्र पत्रिकाओं में...

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