दोस्ती (कविता)
*दोस्ती*
******
दोस्ती का नायाब तोहफ़ा खुदा ने दे दिया
कुछ न देकर भी मुझो सब कुछ दे दिया,
ऐ दोस्त ! नाज़ करती हूँ तेरी दोस्ती पे मैं
सुख-दुख में तू ने मुझे अपना साथ दे दिया।
तेरी दोस्ती मेरे चेहरे की मीठी मुस्कान है
डरती हूँ खो न जाए ये अनमोल पहचान है,
साथ बिताए लम्हों की तू बाती बनाके रखना।
दोस्ती का दीप अपने दिल में जलाके रखना।
जब साथ होते हो सब ग़म भूल जाती हूँ
मैसेज के ज़रिए कितनी खुशियाँ पा जाती हूँ
मेरी दोस्ती ने न देखा दिन है कि रात है
ऑन लाइन न मिलने पर पूछा -यारा क्या बात है?
दोस्ती में दोस्त तुम्हें बहुत चाहने वाले मिलेंगे
उन झूठे फ़रेबियों के बीच पर हम न मिलेंगे
याद करोगे हमें जब भी अपने ख्वाबों में
धड़कन में समाए हर साँस के साथ मिलेंगे।
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज, वाराणसी (मो. 9839664017)

डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
महमूरगंज, वाराणसी (उ. प्र.)
479 Posts · 44k Views
अध्यापन कार्यरत, आकाशवाणी व दूरदर्शन की अप्रूव्ड स्क्रिप्ट राइटर , निर्देशिका, अभिनेत्री,कवयित्री, संपादिका समाज -सेविका।...

You may also like: