
Oct 19, 2017 · कविता
दिल जब रोता है...
दिल जब रोता है, तो खुद ही गुनगुना लिया करते हैं !
आंखों से निकलते हैं,जब अश्क के मोती, तो उन्हे खुद ही पुरो लिया करते हैं !
सोचा करूं उनसे एक बात,पर न कर सका गालिब !
बस सपनों में बुलाकर,सपना, से मुलाकात कर लिया करते हैं !
हसरत तो सदा रही उन्हें खुश देखने की,पर गम न दे दिया हो गालिब !
बस इसीलिए सदा उन्हें दुआएें, खुद को सजा दे लिया करते हैं !
बहुत मुश्किल है अश्कों से,दिल की बात को दबा पाना !
बस इसलिए लिखकर,कागजों से बतया लिया करते हैं !!2ंजीत घोसी

PT I. B. A. B.P.Ed. H. S. School imaliya Gotegoan MP.

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