
Aug 16, 2016 · मुक्तक
तुम्हें कोई जीता है
लिखो एक नज़्म
तुम्हें कोई जीता है
एहसासों के ढेर से
निकालो कुछ लम्हे
तुम्हें कोई जीता है।
ओस सी ठंडक लिए
नई पत्तियों की गुदगुदाहट
जी भरके मुस्कराओ तुम
तुम्हें कोई जीता है।
बारिश की फुहार लिये
बदन की मीठी तपन
दिल से बरस जाओ तुम
तुम्हे कोई जीता है।
गुलाब की तासीर लिए
खुश्बू का सैलाब
धड़कन में समाओ तुम
तुम्हें कोई जीता है।
बहुत उदास है बादल
अश्क भरे भरे
जीने की वजह बन जाओ तुम
तुम्हें कोई जीता है।
,, ,लक्ष्य

मेरी रचनाएँ दिल से निकलती हैं जिनमें काव्यशिल्प से ज्यादा भावों का जोर होता है।यहाँ...

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