
Jul 12, 2016 · कविता
जीना हैं मुझे आज में
नही जीना हैं कल में
जीना हैं मुझे आज में
आशा-विश्वास के रंग
घोलेंगे आज पल में
कल क्या थे भूल के
मस्ती करेंगे हरपल में
खुशियों की बिखेरेंगे फूल
आज ज़िंदगी की गलियों में
झुलेंगे हवाँ के साथ
दरख्त की डाल में
गीत गायेंगे झुमेंगे आज
पुरवा की महकती शाम में
कौन जाने क्या होगा कल
जीना है मुझे आज में
फिर ना मिलेगा ऐसा पल
हैं स्वर्ग इस धरातल में
छोड़ दुनिया-दारी तू भी
आ रंग जा आज में
जैसे जीना हैं जी ले
प्रतिब्ध न रह मोह में

नाम- दुष्यंत कुमार पटेल उपनाम- चित्रांश शिक्षा-बी.सी.ए. ,पी.जी.डी.सी.ए. एम.ए हिंदी साहित्य, आई.एम.एस.आई.डी-सी .एच.एन.ए Pursuing -...

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