Nov 9, 2018 · कविता
जानती है माँ
हर बात को कहने से पहले जानती है माँ,
नाकारा हो चाहे बेटा पर अपना मानती है माँ,
वो रोती है, सिसकती है, बहुत फटकार खाती है,
ग़मो में भी खुशी को बांटना ही जानती है माँ ।।
बुरा जितना करे बेटा, कभी ना बददुआ देती,
ना औरों से कभी कहती ना उसको ही सजा देती,
पश्चात्ताप के आँसू बहाकर आए जब बेटा,
फैलाकर अपने आँचल को बिठाना जानती है माँ ।।
दुखों की धूप में आँचल की छाया डालती हैं माँ,
जो सपने देखे तूने, आँखों अपनी पालती है माँ,
बुरा कुछ पास ना फटके, सदा ही ले बला तेरी,
कदम भटके कभी हर राह तो संभालती है माँ।।
@अश्विनी शर्मा ‘जोशी’
धारूहेड़ा, जिला रेवाड़ी, हरियाणा
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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Ashwani Sharma Joshi
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