
Nov 1, 2018 · कविता
ज़िंदगी है माँ
माँ
है पिता चाँद ..चाँदनी है माँ
गर है विश्वास बस वही है माँ।
नास्तिक मैं कहीं न हो जाऊँ
इक मेरी आस . वंदगी है माँ।
उसके अहसान से मिली दुनिया
आज भी ….मेरी जिंदगी है माँ |
जब कभी भी हुई परेशानी
साथ मेरे खड़ी दिखी है माँ ।
मत दिखाओ बुरी नज़र मुझको
हर बुरी आँख को चुभी है माँ ।
खुश रही जब मुझे सुखी देखा
मैं अगर हूँ दुखी… दुखी है माँ।
कर्ज जिसका कभी चुका न सकूँ
दिल में भगवान सी बसी है माँ।
– अखिलेश वर्मा
मुरादाबाद
This is a competition entry: "माँ" - काव्य प्रतियोगिता
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